तप अभिनंदन के विविध आयोजन
गंगाशहर
सेवा केंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी शशिरेखाजी एवं साध्वी ललितकलाजी के मंगल सान्निध्य में शांति निकेतन सेवा केंद्र के प्रांगण में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा शांतिलाल छाजेड़ की धर्मपत्नी संतोष देवी छाजेड़ के मासखमण (31 दिन) की तपस्या का अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ। शासनश्री साध्वी शशिरेखाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि तप का बहुत बड़ा महत्व है। तप की शक्ति के सामने देवता भी नतमस्तक हो जाते हैं। तपस्या में बहुत बड़ी शक्ति निहित है। तपस्या एक औषधि है, जो ना तो धरती पर उपजती है ना ही आकाश से प्रकट होती है, यह तो आत्मबल से ही उपजती है। तप का महत्व तपस्या करने वाला व्यक्ति ही जान सकता है। उन्होंने उपवास के द्वारा कई बीमारियों के निदान होने की बात कही। तप की अनुमोदना तप के द्वारा करने की प्रेरणा दी। साध्वी ललितकलाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संतोष देवी छाजेड़ ने मासखमण कर तप का कलश चढ़ाया है। व्यक्ति की प्रथम आवश्यकता होती है- भोजन व पानी। जिस व्यक्ति के पास अनासक्ति की चेतना व कर्म निर्जरा की भावना होती है, वही तपस्या कर सकता है। उन्होंने तपस्विनी के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामना की। सुरभि बोथरा ने 15 और दीक्षा सामसुखा ने 9 की तपस्या के प्रत्याखान किए।
समारोह का शुभारंभ मंगलाचरण गीत से हुआ। तपस्विनी के पारिवारिकजनों ने गीतिका प्रस्तुत की। अनुमोदना के क्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष अमरचंद सोनी, मंत्री रतनलाल छल्लाणी, लूणकरण छाजेड़, मनोहरलाल नाहटा, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष संजू लालाणी, मीनाक्षी आंचलिया, अरुण कुमार नाहटा, भरत गोलछा, तेयुप सहमंत्री मांगीलाल बोथरा ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन रूचि छाजेड़ ने किया।