
तप अभिनंदन के विविध आयोजन
कोटा
शासनश्री साध्वी धनश्रीजी के सान्निध्य में पिंकी बागरेचा के मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम साध्वीवृंद के मंगल संगान से प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर शासनश्रीजी ने फरमाया कि तप यात्रा का पहला पड़ाव है- देह महत्व का त्याग, दूसरा पड़ाव है- आसक्ति का त्याग, तीसरा पड़ाव- आकांक्षा का त्याग। इनका संयम करने से कर्म रूपी बादल काफूर हो जाते हैं, आत्मा कुंदन हो जाती है। तपस्या चारों गतियों में होती है। अनुकूल- प्रतिकूल परिस्थितियों को सहन करना तपस्या है। पिंकी बागरेचा ने मासखमण तप करके हिम्मत का काम किया है।
साध्वी सलिलयशाजी एवं साध्वी विदितप्रभाजी ने विचार व्यक्त किये। तेरापंथी सभा अध्यक्ष संजय बोथरा ने तप की शुभकामना के साथ अभिनंदन पत्र भेंट किया। तेममं अध्यक्ष मंजू सुराणा, विद्या बागरेचा ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में रतनलाल जैन, नथमल नाहटा, मदन बागरेचा, अशोक, सुरेश, हितेश बागरेचा, तेयुप मंत्री कमलेश जैन आदि की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन साध्वी शीलयशाजी ने किया ।