परिवार: शिक्षण कार्यशाला ‘जन्मदाता’ का आयोजन

संस्थाएं

परिवार: शिक्षण कार्यशाला ‘जन्मदाता’ का आयोजन

शाहदरा
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में ओसवाल भवन के सुरम्य हॉल में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला जन्मदाता का आयोजन विशाल उपस्थिति में किया गया। साध्वी अणिमाश्रीजी ने मां ही मंदिर-मां ही पूजा, पिता से बढ़कर कौन है दूजा इस विषय पर सभा को संबोधित करते हुए कहा- ‘मां शब्दकोश का छोटा-सा शब्द है किन्तु इसमें पूरी सृष्टि समाई हुई है। मां ब्रह्मा, विष्णु, महेश स्वरूपा है। मां बच्चे को जन्म देती है, इसलिए वह ब्रह्मा है। मां अपनी संतान का भरण-पोषण करती है, इसलिए विष्णुरुपा है। मां अपने बच्चे के कुसंस्कारों का संहार करती है, इसलिए शंकर है। मां ममता का महासागर है। करुणा का निर्झर है। मां ने अपने ममता के आंचल में अपने बच्चे को पाल पोषकर बड़ा किया और उसे विकास के शिखर तक पहुंचा दिया किन्तु वही बेटा आज मां को अनदेखा कर रहा है। कल तक मां की आँखों में आंसू इसलिए थे कि मेरा बेटा खाना नहीं खाता है, आज आंसू इसलिए है कि बेटा खाना खिलाता नहीं है। लानत है ऐसे बेटों को जो बीबी आने के बाद मां के उपकारों को भूल जाते हैं। याद रखिए पत्नी पसंद से मिल सकती है किन्तु मां पुण्याई से मिलती है। अपनी पुण्याई को कभी कम ना होने दे, मां की सेवा कर उसे अभिवर्धित करें। हमारे धर्मग्रंथों में मां बाप के ऋण से उऋण होने की बात कही गई है, हम उनको धर्मध्यान करवाकर ऋण से उऋण होने का प्रयास करें।’
डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी ने पिता की महिमा को व्याख्यायित करते हुए कहा- ‘पिता परिवार रूपी रथ का कुशल सारथी होता है, जो इस रथ पर बैठे हर व्यक्ति को आनंद की सैर कराते हैं। पिता परिवार रूपी बगिया का कुशल बागवान होता है, जो इस उपवन की हर कली को सिंचन देता है और उसे पल्लवित व पुष्पित करता है। पिता वह शख्स होता है, जो अपने बच्चों के सपनों की धरती में रंग भरने के लिए अपने सपनों की धरती को बंजर बना देता है। पिता ही वह शख्स होता है, जो अपने पास कुछ व्यवस्था कम होने पर भी अपने बच्चों की हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश करता है। पिता के महत्व को समझे एवं मान-सम्मान के भाव को बढ़ाएं।’
साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा कि मां-बाप नीम के पेड़ की तरह होते हैं, पेड़ के पत्ते भले ही कड़वे हों, किन्तु छाया हमेशा ठंडी ही देते हैं। साध्वी समत्वयशाजी ने मां-बाप पर सुमधुर एवं भावपूर्ण गीत का संगान किया।