मुनिश्री हेमराजजी की स्मृति सभा के आयोजन

मुनिश्री हेमराजजी की स्मृति सभा के आयोजन

छापर
मुनि हेमराजजी के स्वर्गारोहण के दूसरे दिन भिक्षु साधना केन्द्र के सभागार में शासनश्री मुनि विजयकुमारजी ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा- ‘व्यक्ति कर्मों के हल्केपन से साधु जीवन स्वीकार करता है। जितना उसका आयुष्य होता है, उतने समय तक संयम की साधना करता है, फिर आगे की यात्रा पर निकल पड़ता है। मुनि हेमराजजी तेरापंथ धर्मसंघ में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के कर कमलों से दीक्षित हुए। लगभग 10 वर्षों का उन्होंने संयम जीवन जीया। वे अपने आयुष्य को पूरा करके अग्रिम पड़ाव की और अग्रसर हो गये। आचार्य महाश्रमणजी के शब्दों में मुनि हेमराजजी ने वृद्धावस्था में दीक्षा लेकर एक अच्छे संत की छवि बनाई। समूह का जीवन जीकर ऐसी छवि बनाना भी एक बहुत बड़ी बात है, जिसमें मिलनसारिता, सहनशीलता, मधुरता, नम्रता आदि गुण होते हैं, वास्तव में वही व्यक्ति अपनी छवि को उजली बना सकता है। धर्मसंघ में स्थान तो गुरुकृपा और स्वयं के क्षयोपशम से मिल जाता है पर लोगों के दिलों में स्थान बनाना एक विशेष बात है। 88 वर्षों की उम्र में भी वे सबको प्रिय लगते थे। गुरु महाश्रमणजी का उनको परम आशीर्वाद प्राप्त था। कई ऐसे प्रसंग भी आये जब उन्होंने गुरुवर के श्रीमुख से मंगलपाठ सुनकर अपनी बीमारी दूर कर ली। छापर में 5 मास से कुछ अधिक समय उनकी सेवा में रहने का सुयोग हमें मिला। उनको निकट से जानने व समझने का अवसर प्राप्त हुआ। वे अपनी स्थूल देह को छोड़कर यहाँ से विदा हो गये किन्तु उनके गुणों की गन्ध कभी मिटने वाली नहीं है।’ शासनश्री ने मुनि हेमराजजी की विशेषताओं पर एक गीत भी प्रस्तुत किया। अन्त में सभी को चार लोगस्स का ध्यान करवाया। मुनिश्री के उद्बोधन से पूर्व मुनि दिनकरजी, मुनि आत्मानंदजी, मुनि रमणीयकुमारजी ने भी दिवंगत मुनि हेमराजजी के प्रति अपनी मंगल भावनाएं प्रस्तुत की।
मुनि हेमराजजी 10 अगस्त को दिन के 11ः06 बजे के लगभग छापर सेवा केंद्र में दिवंगत हुए। कई दिनों से वे रुग्ण चल रहे थे। उनकी शोभायात्रा में छापर के श्रावकों के अलावा श्रीडूंगरगढ़, बीदासर, सुजानगढ़, चाड़वास के काफी लोग उपस्थित थे।
स्मृति सभा का प्रारम्भ तेरापंथ महिला मण्डल की बहिनों के मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथी सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराना ने मुनि हेमराजजी का परिचय प्रस्तुत किया। चमन दुधेड़िया, सरोज भंसाली, विनोद नाहटा, श्रीडूंगरगढ़ से समागत मुनिश्री के संसारपक्षीय पुत्र विनोद गंग, भंवर गंग, पुत्रवधु जयश्री गंग, हेमलता दुधेड़िया, विमल बैद, सूरजमल नाहटा ने गीत व भाषण के द्वारा दिवंगत मुनि हेमराजजी के प्रति अपनी भावनाएं प्रस्तुत की।