मुनिश्री हेमराजजी की स्मृति में
शासनश्री मुनि विजयकुमारजी
मुनि हेमराजजी जीवन उजवाल्यो तेरापंथ में,
छापर धरती पर अपणो इतिहास बणायो अंत में।।
अठहत्तर वर्षा री उमर में संयम स्वीकार्यो,
करूणा दृष्टि हुई गुरूवर री अपणो जन्म सुधार्यो।।1।। मुनि...
वर्षा इठयासी में जीवन री यात्रा करग्या पूरी,
मुनिवर हा सोभागी कोई चाह न रही अधूरी।।2।। मुनि...
बड़ी उम्र में दीक्षा लेकर गण में ख्यात बणाई,
जठै जकां रे साथ रह्या, बै चोखी शोभा पाई।।3।। मुनि...
पांच वर्ष तक गुरूवर री यात्रा में रहग्या सागै,
सद्गुरु री सेवा में प्रमुदित रहता हरदम आगै।।4।। मुनि...
सुणकर मंगलपाठ सुगुरु स्यूं पाता हा सुखसाता,
ही अटूट श्रद्धा सद्गुरु पर मान्या भाग्य विधाता।।5।।
मुनिवर री सेवा रो ओ अंतिम अवसर म्है पायो,
‘विजय’ हेम मुनि रो जीवन सगलां नै घणो सुहायो।।6।।
(लय: म्हारी रस सेलड़ियां...)