किशोर युवा उत्कर्ष शिविर का आयोजन
साउथ कोलकाता
मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य एवं तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में किशोर युवा उत्कर्ष शिविर का समायोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगमोहन (आई.पी.एस) डीजीपी एंड सिविल डिफेंस थे। इस अवसर पर युवाओं एवं किशोरों को प्रेरणा प्रदान करते हुए मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति उत्कर्ष चाहता है। जो जैसा है, वैसा रहना नहीं चाहता है। उत्कर्ष के लिए सहनशीलता विनम्रता, जागरुकता, स्वस्थता, श्रमशीलता, नशामुक्ति आदि तत्व उपयोगी होते हैं। जीवन का सबसे बड़ा धन सहिष्णुता है। सहिष्णु व्यक्ति सफल व विकास को प्राप्त होता है। सहनशीलता से तात्पर्य है हर स्थिति में अपने आपको संतुलित रखना। कितने भी कष्ट व संघर्ष आ जाए उससे घबराना नहीं चाहिए। सहिष्णुता के साथ विनम्रता जरूरी है। विनम्र व्यक्ति विधा को प्राप्त होता है, आदर व सम्मान को प्राप्त होता है। अहंकार ज्वलंत समस्या है, अहंकार पतन की निशानी है और व्यक्ति पग-पग पर अवसाद को प्राप्त होता है। व्यक्ति विलासिता का जीवन न जीए, सात्विक जीवन जीए। प्रदर्शन व आडम्बर से दूर रहे, नशामुक्त जीवन जीए। देव, गुरु धर्म के प्रति आस्था रखें। मुनिश्री ने आगे कहा कि युवा गतिशील व ऊर्जावान होता है। युवा उत्साह का पर्याय होता है।
मुनि परमानंदजी ने कहा कि युवा को हर समय सजग व सक्रिय रहना चाहिए। मुनि कुणालकुमारजी ने गीत का संगान किया। मुख्य अतिथि जगमोहनजी ने कहा कि युवा को शरीर व मन से स्वस्थ रहना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति ही गति-प्रगति कर सकता है। उन्होंने नवकार मंत्र व खमत-खामणा के बारे में भी विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष राकेश नाहटा, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य सुनील दुगड़ ने भी विचार रखे। शिविर में प्रश्न-उत्तर व जिज्ञासा-समाधान का क्रम भी रखा गया। आभार मंत्री संदीप मुणोत व संचालन भरत सिरोहिया ने किया। शिविर में दक्षिण कोलकाता के अतिरिक्त उत्तर हावड़ा, दक्षिण हावड़ा, टॉलीगंज, कोलकाता मेन, बेहाला, पूर्वांचल, लिलुआ आदि परिषदों के किशोर व युवकों की सहभागिता रही।