बारह व्रत कार्यशाला के विविध आयोजन
सूरत
साध्वी त्रिशलाकुमारीजी के सान्निध्य में सूरत परिषद् द्वारा बारह व्रत कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन सिटीलाइट में किया गया। साध्वी त्रिशलाकुमारीजी ने बारह व्रतों का महत्व बताते हुए अपने उद्बोधन में फरमाया कि व्रत हमारे लिए ढाल है, सुरक्षा कवच है। जिस तरह भवन की सुरक्षा के लिए रेलिंग बनाई जाती है ठीक उसी तरह हमारे जीवन की सुरक्षा के लिए बारह व्रतों का विशेष महत्व है। भगवान ने दो प्रकार के धर्म बताए- ‘आगार धर्म और अणगार धर्म’। जो साधु नहीं बन सकते, वह बारह व्रती श्रावक बने। व्रत का अर्थ है संयमपूर्वक संकल्प। श्रावक बनने के लिए जरूरी है व्रत चेतना का जागरण, त्याग चेतना का जागरण। त्याग से जीवांे को अभयदान मिलता है। साध्वीश्रीजी ने श्रावक समाज को प्रेरणा देते हुए बारह व्रती बनने का आह्वान किया।