बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन
मैसूर
मुनि रश्मिकुमारजी, मुनि प्रियांशु- कुमारजी के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद् मैसूर ने दो दिवसीय बारह व्रत स्वीकरण कार्यशाला का तेरापंथ भवन में आयोजन किया। मुनि रश्मिकुमारजी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि व्रत से त्याग होता है। जहां त्याग है वहां तनाव मुक्त जीवन शैली होती है। अच्छे स्वास्थ्य की चाबी है- व्रत। कर्म निर्जरा का अमोघ उपाय है- व्रत स्वीकरण। संयम प्रधान जीवन शैली का विकास करता है। आत्म हित के लिए व्रतों को स्वीकार करना बहुत जरूरी है। मुनि प्रियांशुकुमारजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि केवली भाषित धर्म में जो श्रद्धा रखता है उसे व्रती श्रावक कहा गया है। बारह व्रतों को स्वीकार कर सही मायने में श्रावक्तव ग्रहण करें।
बारह व्रत कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक निर्मल नौलखा ने अपने वक्तव्य में कहा कि व्रत के लिए ज्ञान और आचार जरूरी है। अज्ञान के समान दूसरा कोई कष्ट नहीं। अज्ञान जन्म-जन्मांतर तक दुखी बनाता है। लौकिक ज्ञान से हमें जानकारी होती है लेकिन सम्यक् ज्ञान हमें स्वयं से परिचित करवाता है। सम्यक् ज्ञान से ही मोक्ष मंजिल प्राप्त हो सकती है। ज्ञान के साथ आचार भी जरूरी है। ज्ञान का सार आचार है। जब तक सुनेंगे नहीं, जानेंगे नहीं तब तक ज्ञान नहीं मिल सकता। बिना ज्ञान के व्रत नहीं ले सकते। व्रतों को समझंे और ग्रहण करें। बिना व्रत के व्यक्ति अहंकारी जीवन जीता है। व्रत धारण करने वाला ही श्रावक कार्यकर्ता होता है। व्रतों को समझ कर स्वीकार करने से पाप से बच सकते हैं।
इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष कमलेश गांधी ने सबका स्वागत किया। कार्यक्रम के संयोजक एवं परिषद् के उपाध्यक्ष लक्की श्रीश्रीमाल ने कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक निर्मल नौलखा का संक्षिप्त परिचय करवाया। संचालन तेयुप मंत्री प्रमोद मुनोत ने किया। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष प्रकाश दक, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी भटेवरा सहित अनेक गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति रही।