अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

कर्म बोध
अवस्था व समवाय

प्रश्न 11 ः क्या फल प्राप्ति में द्रव्य, क्षेत्र, काल आदि की कोई भूमिका है?

उत्तर ः कर्म के विपाकोदय से होने वाली फल प्राप्ति में द्रव्य, क्षेत्र, काल व भाव की अनुकूलता जरूरी है। प्रदेशोदय में फल प्राप्ति की बाहर अनुभूति नहीं होती, अतः प्रदेशोदय में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

प्रश्न 12 ः क्या कर्म के अशुभ फल को रोका जा सकता है?

उत्तर ः जप, ध्यान आदि से अशुभ फल को रोका जा सकता है। जप आदि से कर्म-निर्जरा होती है। जब कर्मों का निर्जरण हो जाता है, तब कर्मों के अशुभ फल देने की बात स्वतः समाप्त हो जाती है।
(क्रमशः)