सामुहिक आयंबिल तप का विराट आयोजन
सिकंदराबाद
तेरापंथ भवन, सिकंदराबाद में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा निर्देशित तेरापंथ महिला मंडल, हैदराबाद के तत्वाधान में सामूहिक आयंबिल तप का विराट आयोजन हुआ। साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी ने उपस्थित साधक-साधिकाओं को उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा- ‘अध्यात्म साधना तप-त्याग प्रधान होती है। जैन परंपरा में आयंबिल साधना का महत्वपूर्ण स्थान है। इतिहास में ऐसे अनेकों प्रसंग हैं, जहां आयंबिल से विघ्नों का हरण हुआ है। शांति और शक्ति, आनंद का रस साधना से प्रस्फुटन हुआ है। विशिष्ट आध्यात्मिक शक्ति जागरण का आयंबिल तप महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस पवित्र अनुष्ठान से अनिर्वचनीय ऊर्जा की अनुभूति होती है। तेजस शक्ति बढ़ाने के लिए आयंबिल सशक्त साधना है। इस तप से अनासक्त भाव पुष्ट होते हैं। स्वाद विजय का यह प्रयोग आत्मशक्ति बढ़ाता है। वैराग्य चेतना जागृत करता है।’
साध्वीश्रीजी की प्रेरणा और तेरापंथ महिला मंडल के श्रमयुत् प्रयास से लगभग 200 व्यक्तियों ने इस अनुष्ठान और तप का आनंद लिया। साध्वीश्रीजी द्वारा परिषद् को बीज मंत्रों एवं विभिन्न प्रभावक जैन मंत्रों का अनुष्ठान करवाया गया। अनुष्ठानकर्ताओं ने अनुभवगम्य ऊर्जा का अनुभव भी किया। साध्वीश्रीजी ने कहा- ‘प्रबल संकल्प के साथ ही त्याग के राजपथ पर बढ़ा जा सकता है। भगवान महावीर की वाणी ‘पणया वीरा महावीहं’ अर्थात जो वीर होते हैं, वही महापथ पर चल सकते हैं। आयंबिल रोग निवारक साधना है, संकट निवारक साधना है। हर तप में अलग-अलग रहस्य छुपे हुए हैं। आयंबिल साधना से भीतर की सक्रियता की अनुभूति होती है। आयंबिल इंद्रिय निग्रह के साथ जुड़ा तप है।’
प्रभावती जोन की बहनों ने संकल्प गीत ‘आओ बहनों, जागो बहनों’ का सामूहिक संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष कविता आच्छा ने संपूर्ण संभागियों का स्वागत किया, साध्वीश्रीजी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। तेममं अध्यक्ष कविता आच्छा, मंत्री सुशीला मोदी, संयोजिका प्रभा दूगड़ एवं श्रीमती सरला भूतोड़िया का इस अनुष्ठान हेतु सराहनीय श्रम रहा। साध्वीश्रीजी ने एक साथ आयंबिल-तप प्रत्याख्यान करवाया।