पुनरावर्तन कार्यशाला का आयोजन

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पुनरावर्तन कार्यशाला का आयोजन

सिकंदराबाद
तेरापंथ भवन सिकन्दराबाद में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा निर्देशित एवं तेरापंथ महिला मंडल, हैदराबाद के तत्वावधान में पुरानी ढ़ालों की पुनरावर्तन कार्यशाला आयोजित हुई।
कार्यशाला में केन्द्र निर्देशित मुणिन्द मोरा, भिक्षु म्हारै प्रगट्‌या जी भरत खेतर में, जम्बू कहयो मान ले, विघ्नहरण एवं भावै भावना इन पांच गीतिकाओं का पुनरावर्तन किया गया।
उपस्थित लगभग 150 से अधिक बहनों ने सामायिकपूर्वक ढ़ालों का स्वाध्याय किया। कार्यसमिति की लगभग सभी बहनों ने इस कार्यशाला में संभागिता दर्ज की। मुख्य संयोजिका रीटा सुराणा एवं प्रभा दुगड़ ने सभी बहनों को एक्टिव रहने की प्रेरणा दी।
ढ़ालों के पुनरावर्तन के पश्चात उनसे संबंधित प्रश्नोत्तर का सिलसिला भी चला। कार्यशाला से पूर्व साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी ने अपने प्रवचन में कहा- ‘जैन परम्परा में ज्ञान के साथ दान का भी विशेष महत्व रहा है। शुद्ध दान वह होता है जिसमें दाता ,देय और गृहिता तीनों शुद्ध हों। विशुद्ध दान से कर्मों की निर्जरा होती है।’ इस संदर्भ में उन्होंने ऐतिहासिक शालिभद्र के संदर्भ का विवेचन किया।
साध्वी सुदर्शनप्रभाजी, साध्वी सिद्धियशाजी एवं साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने तप-अनुमोदन गीत प्रस्तुत किया। तेममं अध्यक्ष कविता आच्छा ने कहा ऐसी ज्ञानवर्धक कार्यशालाओं से हमें जीवन निर्माण के सूत्र मिलते हैं। अध्यात्म की ओर गति करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने केसरिया परिधान में सज्जित संपूर्ण महिला मंडल की सदस्याओं का स्वागत किया। मंडल मंत्री सुशीला मोदी ने आभार जताया।