गुलाबी नगरी में गूंजी भक्तिकाव्य भक्तामर स्तोत्र की मंत्र-ऋचाएं

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गुलाबी नगरी में गूंजी भक्तिकाव्य भक्तामर स्तोत्र की मंत्र-ऋचाएं

अणुविभा, जयपुर
शासन गौरव साध्वी कनकश्रीजी का पावन सान्निध्य, अणुविभा केन्द्र, महाप्रज्ञ सभागार का विशाल प्रांगण, तेरापंथ महिला मंडल जयपुर (शहर) द्वारा आयोजित ‘भक्तामर-अनुष्ठान’ का उत्साह-उल्लासपूर्ण वातावरण। ‘जैन प्रतीक’ लोकाकाश के आकार में, साधना प्रायोग्य परिधान में 108 जोड़े (दम्पति) तथा शताधिक आबाल-वृृद्ध आराधक पंक्तिबद्ध आसीन थे, इससे परिषद् की सुषमा अनूठी प्रतीत हो रही थी।
अनुष्ठान के प्रारम्भ में साध्वी कनकश्रीजी ने विशाल धर्म परिषद् को संबोधित करते हुए कहा- ‘भक्तामर स्तोत्र एक कालजयी भक्ति काव्य है। आचार्य मानतुंग सूरि की अखंड अर्हद भक्ति, अगाध आस्था और आध्यात्मिक असीम ऊर्जा का परिचायक है।’ भक्तामर स्तोत्र को जन आस्था का केन्द्र बताते हुए साध्वीश्री ने कहा- ‘देश-विदेश में रहने वाले लाखों जैन व जैनेत्तर लोग भक्तामर के माध्यम से आदिनाथ भगवान ऋषभदेव की आराधना करते हैं और जीवनगत अनेक जटिल समस्याओं का समाधान भी प्राप्त करते हैं।’ साध्वीश्री ने श्रावक-श्राविकाआंे को भक्तामर सीखने व नियमित स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी और शुद्ध उच्चारण का महत्व बताया।
साध्वीवृंद ने समवेत स्वरों में भक्तामर स्तोत्र के एक-एक काव्य के साथ विशिष्ट मंत्रों का संगान कर अनुष्ठान कराया तब ऐसा लगा मानों समूचा वातावरण पवित्रता के परमाणुओं से भर रहा है। कार्यक्रम की सफलता में तेरापंथ महिला मंडल, जयपुर की अध्यक्षा नीरू मेहता, मंत्री नीलिमा बैद सहित टीम की बहिनों तथा चंचल दूगड़, शैली बाफणा, सोनम कोठारी के कौशलपूर्ण श्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।