पर्युषण पर्वाराधना का कार्यक्रम
सिरियारी
महापर्व, पर्वाधिराज आदि अनेक नामों से संबोधित व ज्ञापित पर्युषण जिसे हर्षोंल्लास से सकल जैन समाज के द्वारा मनाया जाता है। वर्ष भर में धर्मस्थान पर न आने वाले भी आठ दिन भरपूर धर्म का लाभ लेते हैं व त्याग-प्रत्याख्यान करते हैं। इस अष्टान्हिक पर्व में मुख्य रूप से भगवान महावीर का जीवन चित्रण, उत्तरवर्ती आचार्य परंपरा का विश्लेषण एवं वर्तमान आचार्य परंपरा का अनुशीलन किया जाता है।
संवत्सरी महापर्व के दिन शासनश्री मुनि मणिलालजी स्वामी ने भगवान महावीर के युग को सर्वप्रथम साध्वी प्रमुखा चंदनबाला के जीवन को बेहद रोचक व जीवंत तरीके से प्रस्तुत किया। 87 वर्ष की आयु में भी इतनी सक्रियता के साथ लगभग साढ़े तीन घंटों तक मुनिश्री ने लगातार प्रवचन देकर सभी को अध्यात्म का रसपान करवाया।
मुनि आकाशकुमारजी ने भगवान ऋषभ, पार्श्व के उल्लेखनीय घटना प्रसंगों को बताते हुए भगवान महावीर का सम्पूर्ण जीवन चरित्र प्रस्तुत किया। उन्होंने जैन धर्म के प्रभावशाली आचार्यों का जीवन चरित्र एवं व्यक्तित्व-कर्तृत्व के बारे में भी विशद अवगति दी। मुनि हितेन्द्रकुमारजी ने तेरापंथ के 11 आचार्यों के बारे में विस्तार से समझाया कि कैसे हमारे पूर्वाचार्यों ने अत्यधिक संघर्षों को कठिनाईयों को सहन कर हमें यह सुंदरतम तेरापंथ दिया है। हमें हमारी परंपरा का गौरव होना चाहिए व गण-गणपति के प्रति सदैव श्रद्धाशील होना चाहिए।
पर्युषण के आठों ही दिन नियमित रूप से प्रतिक्रमण तथा प्रवचन का कार्यक्रम चला। अन्त में सामूहिक क्षमायाचना के कार्यक्रम के साथ अष्टान्हिक पर्व सम्पन्न हुआ। सिरियारी संस्थान परिवार ने भी प्रवचन का लाभ उठाया।