पर्युषण पर्वाराधना के कार्यक्रम
जलगांव
जैन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले पर्युषण पर्व की आराधना डॉ0 मुनि आलोककुमारजी के पावन सान्निध्य में अणुव्रत भवन प्रांगण में संपन्न हुई। मुनि आलोककुमारजी, मुनि हिमकुमारजी, मुनि लक्ष्यकुमारजी ने भगवान महावीर की जीवन गाथा का विवेचन किया। आठ दिवसीय कार्यक्रम में खाद्य संयम दिवस पर खाने-पीने का संयम कर कर्म निर्जरा का मर्म समझाया। स्वाध्याय दिवस पर ज्ञान की ज्योति को समय नियोजन करके वाचना, प्रतिप्रश्ना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा व धर्मचर्चा कर निरंतर प्रज्ज्वलित रखने की प्रेरणा दी । सामायिक दिवस पर सामायिक के अर्थ सहित व्याख्या करते हुए संवर-निर्जरा के लाभ के साथ-साथ मनुष्य को हर परिस्थिति में सम रहकर समता की साधना के विकास की प्रेरणा दी। वाणी संयम पर वाणी के विवेक का मूल्य समझाया। अणुव्रत चेतना दिवस पर अणुव्रत आचार संहिता के नियमों का वाचन किया। अणुव्रत अवदान की जीवन शैली में उपयोगिता को और श्रावक के बारह व्रतों को सरलता से समझाकर बारह व्रती श्रावक बनने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया। जप दिवस पर व्याख्या दी कि प्रत्येक अक्षर में मंत्र बनने की क्षमता है और अक्षरों का सम्यक संयोजन ही मंत्र है। साथ ही विशेष मंत्र का जप करने से होने वाले आध्यात्मिक लाभ के बारे में समझाया। ध्यान दिवस पर बताया गया कि विकेंद्रित विचारों को केंद्रित कर निर्विचार अंतर्यात्रा ही ध्यान है। आचार्यश्री महाप्रज्ञ द्वारा दिये गये अवदान ’प्रेक्षा-ध्यान’ का निरंतर प्रयोग करके मनुष्य अपने जीवन में शांति का विकास कैसे कर सकता है, इसकी प्रेरणा दी।
संवत्सरी महापर्व पर डॉ0 मुनि आलोककुमारजी ने भगवान महावीर के माताजी के १४ सपनों का वर्णन किया और बताया कि आत्मा ही शत्रु व मित्र है। हम अनादिकाल से कालचक्र में घूम रहे हैं। आज का दिन तप का पर्व है। अपने भीतर के ईर्ष्या भाव को खत्म कर प्रमोद भावना का जागरण करें, सेवा भावना का विकास करें। आगम का ज्ञान करना जरुरी है। अव्रत, कषायों व मिथ्या भाव व किसी के प्रति छल कपट किया हो तो उसका प्रतिक्रमण करना, आज के दिन का उद्देश्य है।
क्षमायाचना दिवस पर विगत वर्ष में मन, वचन, काया द्वारा जाने-अनजाने हुई भूलों की शुद्ध अंतकरण से प्राणी मात्र से क्षमायाचना का मूल्य समझा कर आत्मशुद्धि के महत्व को बताया गया। नन्हें-नन्हें बालकों ने भी उपवास व प्रवचन श्रवण का लाभ लिया। क्षमायाचना दिवस पर परमश्रद्धेय गुरुदेव एवं समस्त चरित्रात्माओं से क्षमायाचना कर सभी श्रावक-श्राविका समाज ने भी एकदूसरे से खमत-खामणा किया। तेरापंथी सभा अध्यक्ष जितेन्द्र चौरड़िया, तेयुप अध्यक्ष सुदर्शन बैद, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा निर्मला छाजेड़, टी0पी0एफ0 अध्यक्ष संजय चौरड़िया ने अपने भाव व्यक्त किए। क्षमायाचना कार्यक्रम का संचालन नोरतमल चौरड़िया ने किया। कार्यक्रम समापन पर जलगांव के विधायक श्री सुरेश दामू भोळे ने मुनिश्री के दर्शन किए एवं क्षमायाचना की।