अष्टम् आचार्य कालूगणी महाप्रयाण दिवस
सिकन्दराबाद
साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में तेरापंथ के अष्टमाचार्य कालूगणी की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर अपने श्रद्धास्वर व्यक्त करते हुए साध्वी श्री डॉ0 मंगलप्रज्ञाजी ने कहा- ‘श्रीमद् कालूगणी ने तेरापंथ धर्मसंघ में विकास का बीजारोपण किया। वे तेरापंथ धर्मसंघ के ख्याति प्राप्त महासाहसी आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसका साक्षात् उदाहरण है- 22 वर्षीय मुनि तुलसी को संघ का दायित्व सौंप देना। आचार्य कालूगणी पुण्यशाली प्रतापी आचार्य बने, जिन्होंने संघ को आचार्य तुलसी जैसे तेजस्वी आचार्य दिया। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ दोनों युगप्रधान आचार्य संघ को देकर इतिहास का सृजन किया। उनके दीक्षित संत तेजस्वी, वर्चस्वी और यशस्वी बने यह भी उनके सृजनशील, सुदीर्घ चिन्तन का परिचायक है।’
इतिहास अंकित अनेक घटनाओं का श्रवण कराते हुए साध्वीश्रीजी ने कहा- ‘कालूगणी ने अपनी मेघा शक्ति से संघ को विकास के शिखर पर आरोहण करवाया। साध्वी समुदाय की शिक्षा के संदर्भ में उनका युगीन सम्यज्ञ-चिन्तन सम्पूर्ण संघ के लिए प्रणम्य है। संघ हित में उनका मार्गदर्शन संघ के बहुमुखी विकास में प्रबल सहायक बना। यह भैक्षवगण का सौभाग्य हैं।’
साध्वी सुदर्शनप्रभाजी एवं साध्वी राजुलप्रभाजी ने अपने श्रद्धासिक्त भाव गीतिका के द्वारा प्रस्तुत किए। साध्वी सिद्धियशाजी ने कहा कि कालूगणी का अनुशासन लोकप्रिय था। मक्खन की तरह कोमल हृदययुत परम पावन कालूगणी के गुणों को हम प्रणाम करते हैं। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने किया।