श्रीमद् जयाचार्य का 143वां महाप्रयाण दिवस

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श्रीमद् जयाचार्य का 143वां महाप्रयाण दिवस

भीलवाड़ा
शासनश्री मुनि हर्षलालजी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य श्रीमद् जयाचार्य का 143वां महाप्रयाण दिवस मनाया गया। मुनिप्रवर के नवकार महामंत्र उच्चारण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। शासनश्री मुनि हर्षलालजी ने जयाचार्य को समर्पित ‘गण में थारों उज्ज्वल इतिहास’ गीतिका का संगान किया एवं उनका व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व कहानी के माध्यम से बताया। मुनि यशवन्तकुमारजी ने संक्षिप्त शब्दों में जयाचार्य का जीवन वृत्त बताया कि रोयट ग्राम में जन्म, माता कल्लूजी, पिता आईदानजी थे। आपका आचार्यकाल 30 वर्ष एवं जीवनकाल 78 वर्ष का रहा। राजस्थान की राजधानी जयपुर में आपका महाप्रयाण हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ को जयाचार्य ने अनेकों अवदान दिए जो आज भी संघ में उपयोगी है। अनेक विशेषताओं के समवाय आचार्य जिनका पूरा जीवन अनुशासन एवं मर्यादा की अनूठी मिसाल था। अध्यात्मवेता, तत्ववेता एवं विधिवेता जैसे गुणों का आप में समावेश था। ज्ञान का अथक भंडार व उनकी प्रतिभा बेजोड़ थी। जयाचार्य के साहित्य ग्रंथ एवं चौबीसी से अध्यात्म के अनेक सूत्र हमें प्राप्त हो सकते हैं। ऐसे आचार्य का स्मरण करते हुए आपने श्रद्धा स्वर व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल से विनीता भानावत एवं बहिनों ने जयाचार्य के प्रति श्रद्धासिक्त भावों से गीतिका की प्रस्तुति दी। रोशनलाल चिपड़, मदनलाल टोडरवाल, संगीता चोरड़िया, पुष्पा पामेचा, सुमन लोढ़ा, नीलम लोढ़ा इन सभी ने जयाचार्य के प्रति श्रद्धा भावों की अभिव्यक्ति दी।