संयम की साधना है आत्मा के लिए हितकर : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

संयम की साधना है आत्मा के लिए हितकर : आचार्यश्री महाश्रमण

जोगेश्वरी, 2 दिसंबर, 2023
योगियों के योगीश्वर आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः गौरेगाँव से विहार कर जोगेश्वरी पधारे। अमृत देशना प्रदान करते हुए परम आचार्यप्रवर पावन ने फरमाया कि परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन को आगे बढ़ाया। अणुव्रत आंदोलन का जो मुख्य प्राण है, वह है संयम। जितना असंयम है, उतना आत्मा के लिए अहितकर हो सकता है। संयम की साधना आत्मा के लिए हितकर बन सकती है। शरीर, वाणी, इंद्रियों और मन का संयम करें। पाँच इंद्रियाँ हमारे पास हैं, इनका संयम रखना साधना है। असंयम से पाप-कर्म का बंध हो सकता है। आचार्यश्री ने जोगेश्वरी पदार्पण के संबंध में कहा कि इस नगरी के साथ योग शब्द मानो जुड़ा हुआ है। योग साधना, ध्यान और इंद्रियों का संयम आत्मकल्याणकारी है।
सम्यक् ज्ञान, दर्शन, चारित्र, जप, तप, स्वाध्याय आदि योग साधना है। ये मोक्ष के लिए उपयोग भूत है। अणुव्रत में भी संयम की बात है। अपने पर अपना अनुशासन हो। अणुव्रत गीत में जीवन संबंधी अच्छी बातें हैं। अणुव्रत गीत का पूज्यप्रवर ने सुमधुर संगान करवाया। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में स्थानीय सभाध्यक्ष राकेश डागलिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। ज्ञानशाला, तेरापंथ महिला मंडल एवं तेरापंथ युवक परिषद ने भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने सम्यक्त्व के लक्षणों के बारे में समझाया।