प्रवचन सुनने से बदल सकती है जीवन की दशा और दिशा : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

प्रवचन सुनने से बदल सकती है जीवन की दशा और दिशा : आचार्यश्री महाश्रमण

कांदिवली, 30 नवंबर, 2023
एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे पास पाँच ज्ञानेंद्रियाँ हैं। उनमें एक हैµश्रोत्रेन्द्रिय। जिसके द्वारा हम सुनते हैं। श्रोतेन्द्रिय से अनेक जानकारियाँ प्राणी को प्राप्त होती हैं। तीर्थंकरों की देशना एवं आचार्यों व चारित्रात्माओं के प्रवचन भी कानों से सुनते हैं। सुनने से ज्ञान मिलता है और आदमी के जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। श्रमण की पर्युपासना करने से दस लाभ बताए गए हैं। सामायिक पूर्वक प्रवचन सुनने से चैबीस घंटों में एक घंटा तो शुभ भावों में बीत गया। साथ में कितने सांसारिक कामों से आप बच गए। सावद्य योग का त्याग हो गया। सुनने से नई जानकारी भी मिल सकती है। सुनने से आदमी को अपनी समस्या का समाधान मिल सकता है।
बार-बार सुनते रहने से जीवन में भी परिष्कार हो सकता है। वैराग्य भाव भी जाग सकते हैं। सुनेंगे, जानेंगे तो फिर जीवन मे उतरने की बात ज्यादा हो सकेगी। आदमी सुनकर के कल्याण को जान लेता है। सुनकर के पाप को भी जान लेता है। अच्छे और बुरे को जान लिया तो फिर आदमी यह प्रयास करे कि जो श्रेयस्कर-कल्याणकारी है, उसका मैं जीवन में आचरण करूँ। शास्त्रकार ने कहा है कि ये जो कान है, वो कुंडल से इतना शोभायमान नहीं होता। श्रुत सुनने से कान की शोभा होती है। जिनके पास श्रवण शक्ति है, वो उसका अच्छा उपयोग करे। पूरी सृष्टि में कम से कम 2000 करोड़ साधु होते हैं। चारित्रात्माओं के संपर्क से कितने छोटे-छोटे बच्चों में वैराग्य भाव आ जाते हैं।
आज गुरुदेव तुलसी की मासिक पुण्यतिथि है। गुरुदेव तुलसी तो बहुत छोटी उम्र में धर्मसंघ के आचार्य बन गए थे। उन्होंने धर्मसंघ की सेवा के साथ जैन शासन के लिए भी बहुत कार्य किया था। अनेक अवदान धर्मसंघ को दिए थे। लंबी यात्राएँ उन्होंने ही प्रथम बार की थी। अनेक प्रांतों की यात्रा की थी। वे एक महान यायावर थे। अनेकों को उन्होंने दीक्षित-शिक्षित किया था।
अनेक राजनेता गुरुदेव तुलसी के संपर्क में आए थे। उन्होंने अध्यात्म का, आगमों का, जनोद्धार का बहुत काम किया था। आचार्यश्री तुलसी ने तो अपने आचार्य पद का विसर्जन कर युवाचार्यश्री जी को आचार्य पद स्थापित कर दिया था। हमें भी उनके चरणों में रहने का अवसर मिला था। हम भी जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करें। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में यासिका दुगड़, विभा श्रीमाल, नीतू दुगड़, मीनाक्षी भूतोड़िया, कांदिवली, तेयुप अध्यक्ष नवनीत कच्छारा, कन्या मंडल, कांदिवली, तेममं, कांदिवली ने अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।