धर्म रूपी पौधे को सिंचन देते रहना

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धर्म रूपी पौधे को सिंचन देते रहना

शाहदरा, दिल्ली।
साध्वी अणिमाश्री जी का शाहदरा के ऐतिहासिक सफलतम चातुर्मास की परिसंपन्नता के पश्चात ओसवाल भवन से मंगल विहार हुआ। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, संस्था शिरोमणी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनसुख सेठिया सहित सैकड़ों व्यक्ति अणुव्रत रैली के साथ साध्वीवृंद के विहार में सहयात्री बने। साध्वीश्री जी का प्रथम विहार विनोद-प्रमोद बैद के निवास स्थान पर हुआ। साध्वी अणिमाश्री जी ने राजा प्रदेशी के आख्यान का वाचन करते हुए कहा कि अपने जीवन में सम्यक् ज्ञान रूपी दीपक को हमेशा प्रज्ज्वलित रखना, धर्म रूपी पौधे को सिंचन देते रहना। धर्म रूपी पौधे को कभी मुरझाने न देना। अध्यात्म की सौरभ से जीवन को सुवासित रखना।
साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि संघ व संघपति हमारे प्राण, त्राण एवं शरण हैं। मैं पूरे श्रावक समाज से कहना चाहती हूँ आप सबकी संघभक्ति व गुरुभक्ति बढ़ती रहे। आस्था व समर्पण का रंग हर पल आपकी रगों में दौड़ता रहे। मर्यादा व अनुशासन का कवच पहनकर संघ सेवा करते रहना। पूज्यप्रवर ने महती कृपा कर हमें शाहदरा क्षेत्र प्रदान किया। शाहदरा, दिल्ली का विशिष्टम क्षेत्र है। श्रावक-श्राविकाएँ साताकारी हैं। आप सभी ने हमारे दिल में विशेष स्थान बनाया है। हमारे चातुर्मास का सवाया लाभ लिया है। जप-तप व धर्म-ध्यान की गंगा बही है। अब उस गंगा के निर्मल जल से आत्मा को अभिसिंचित करते रहना।
साध्वीश्री जी ने कहा कि मेरे पचास वर्ष के संयम पर्याय में विहार में पहली बार दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष एवं महासभा के अध्यक्ष आए हैं। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल भक्त हृदय हैं। इनके भीतर आस्था व भक्ति का ज्वार हमने देखा है। हमारे प्रवास में लगभग आठ बार उन्होंने सेवा उपासना का लाभ लिया है। इनको शय्यातर का लाभ भी प्राप्त हुआ है। बड़े चिंतनशील, समयज्ञ एवं सफल राजनेता हैं। महासभा अध्यक्ष बड़े निर्मल, सहज, शालीन व्यक्तित्व के धनी हैं। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि आपके भीतर माँ-सी ममता है। मैं आपके प्रवचनों से बड़ा प्रभावित हूँ। आज भी आपका प्रवचन सुनने आया हूँ। आपकी यात्रा सुखद एवं मंगलमय हो।
महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने कहा कि कुछ चातुर्मास साधना की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं तो कुछ चातुर्मास संघ प्रभावना की दृष्टि से उपलब्धि भरे रहते हैं। साध्वी अणिमाश्री जी का चातुर्मास साधना एवं संघ प्रभावना दोनों ही दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण रहा है। ऐसा मैं दिल्ली के श्रावक समाज के मुख से सुन रहा हूँ। जन-जन के मुख पर आपका नाम है। हम मंगलकामना करते हैं आप निरामय रहते हुए यूँ ही संघ प्रभावना करते रहें। साध्वीवृंद ने भावपूर्ण गीत का संगान कर सबसे विदा लेते हुए श्रावक समाज से अवरुद्ध कंठ से खमतखामणा किया। भरे मन से सभी ने साध्वीश्री जी को विदाई दी। सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, मंत्री सुरेश सेठिया ने विचार रखे।
साध्वी अणिमाश्री जी की पुस्तक ‘अमृत का झरना’ अंग्रेजी में अनुवाद साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से किरण बरड़िया ने किया। ‘फाउंडेन आॅफ अमृत’ पुस्तक का लोकार्पण कुछ दिन पूर्व जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों ने पूज्यप्रवर के श्रीचरणों में समर्पित कर दिया। उसी पुस्तक को विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया, अणुविभा के महामंत्री भीखमचंद सुराणा, दिल्ली सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत व स्थानीय पदाधिकारियों ने साध्वीश्री जी के श्रीचरणों में उपहृत किया।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि साध्वी मंगलप्रज्ञा जी मेरी अनुजा भगिनी है, उन्होंने बड़ा काम किया है। किरण बरड़िया का श्रम मुखर हुआ है। जैन विश्व भारती ने पुस्तक को प्रकाशित कर साहित्य जगत की सेवा की। विनोद, सोनू बैद ने साध्वीश्री जी के अपने घर पर पदार्पण पर स्वागत करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त किया। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने अपने भावों की प्रस्तुति दी।