तप अभिनंदन समारोह का आयोजन

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तप अभिनंदन समारोह का आयोजन

गंगाशहर।
तेरापंथी सभा द्वारा तप अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में शासनश्री साध्वी शशिरेखा जी ने कहा कि आगमों में बताया गया है कि तपस्या द्वारा पूर्व में संचित कर्मों की निर्जरा होती है। जिस व्यक्ति का मनोबल मजबूत होता है, वही तपस्या कर सकता है। जैन इतिहास में बड़ी-बड़ी तपस्याओं के अनेक उदाहरण मिलते हैं। साध्वी ललितकला जी ने कहा कि तपस्या द्वारा कर्म निर्जरा के साथ-साथ व्यक्ति सच्चे सुख की अनुभूति करता है। निष्पृह भाव से की गई तपस्या से व्यक्ति मोक्षगामी बनता है। जिस प्रकार सोना तपकर कुंदन बनता है, उसी प्रकार तपस्या द्वारा आत्मा निर्मल बनती है। साध्वीवृंद द्वारा सामूहिक गीतिका का संगान किया गया। समारोह का शुभारंभ सामूहिक महामंत्र द्वारा किया गया।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़, तेरापंथी सभा के परामर्शक विमल चोपड़ा, महिला मंडल अध्यक्ष संजू लालाणी, तेयुप मंत्री भरत गोलछा, प्रकाश महनोत ने तप अनुमोदना करते हुए अपनी भावना व्यक्त की। नवरतन बोथरा, मांगीलाल लुणिया, पवन छाजेड़, मनोहरलाल नाहटा, जीवराज श्यामसुखा, प्रकाश भंसाली, चंद्रप्रकाश राखेचा, त्रिलोकचंद बाफना द्वारा तपस्वियों को अभिनंदन पत्र व साहित्य द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सभा के मंत्री रतनलाल छल्लाणी ने बताया कि चातुमा्रस काल में आठ व आठ से अधिक तपस्या करने वाले 58 तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। तपस्या करने वालों में 8 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष तक के बुजुर्ग शामिल हैं। तपस्वियों में 8 दिन की तपस्या करने वाले एवं 30 दिन की तपस्या करने वाले भी हैं।