आचार्यश्री तुलसी के 110वें जन्मोत्सव के आयोजन
बीदासर
साध्वी रचनाश्रीजी के सान्निध्य में आचार्यश्री तुलसी का 110वाँ जन्म दिवस मनाया गया। साध्वीश्री ने कहा कि भैया दूज के दिन जन्मे आचार्य श्री तुलसी, दूज के चांद के समान ही तीन विशेषताओं से युक्त थे। पहली विशेषता है दूज का चांद बेदाग होता है। आचार्यश्री तुलसी का जीवन भी बेदाग था। दूज का चांद सतत बढ़ता रहता है। आचार्यश्री तुलसी हमेशा आगे से आगेे बढ़ते रहे। दूज के चांद को देखने की प्रतीक्षा सब करते हैं। आचार्यश्री तुलसी की भी हर जगह, हर कोई प्रतीक्षा करता। गुरुदेव का व्यक्तित्व तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी था।
आचार्यश्री तुलसी स्वाति नक्षत्र में सीप के मुख में गिरने वाली बूँद की तरह ही वर्चस्वी थे। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ को भी तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी बनाया। शासनश्री साध्वी साधनाश्री जी ने आचार्यश्री तुलसी के श्रम एवं रचना कौशल पर प्रकाश डाला। शासनश्री साध्वी अमितप्रभा जी ने गुरुदेव की अनुशासन शैली के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए पाली के श्रावकों की घटना बताई। साध्वी जयंतयशा जी, साध्वी गीतार्थप्रभा जी और साध्वी नमनप्रभा जी ने वक्तव्य एवं कविता की प्रस्तुति दी। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत को सुमधुर स्वर दिया। सभा की ओर से रवि सेखानी ने विचार व्यक्त किए। मंगलाचरण महिला मंडल की बहनों ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी लब्धियशा जी ने किया।