युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याणक वर्ष के उपलक्ष्य में
महामहिम श्री महाश्रमण का दीक्षा दिवस मनाते हैं।
खुशियों का सागर लहराया आनंदित हो जाते हैं।।
सरदारशहर की पुण्य धरा पर जन्म आपने है लिया।
गुरु आज्ञा से मुनि सुमेर से संयम पथ स्वीकार किया।
ज्ञान ध्यान ला कर विकास आगे बढ़ते जाते हैं।।
तुलसी गुरु और महाप्रज्ञ की शिक्षाएँ अपनाई थीं।
विनय भाव और समर्पण भाव की ज्योति खूब जगाई थी।
अतः आपको युवाचार्य पद दे उल्लासित हो जाते हैं।।
43 दीक्षा एक साथ दे कीर्तिमान बनाया है।
तेरापंथ का यश झंडा विश्व में फहराया है।
मिला हमें यह संघ विलक्षण मन में मोद मनाते हैं।।
देश विदेश की कर यात्रा अणुव्रत संदेश दिया।
नागालैंड, नेपाल देश में जाकर खूब प्रचार किया।
भूटान देश में जैन ध्वज लहराया गरिमा गाते हैं।।
भाग्यशाली हैं हम इस युग में तीर्थंकर जैसे गुरु मिले।
अमृत महोत्सव का यह अवसर खुशियों के हैं सुमन खिले।
संघ चतुर्विध है अति हर्षित संघ की महिमा गाते हैं।।