आध्यात्मिक होली का आयोजन

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आध्यात्मिक होली का आयोजन

मुनि प्रशांतकुमार जी के सान्निध्य में आध्यात्मिक होली कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांतकुमार जी ने कहा- जैन धर्म में होली के दिन चातुर्मासिक पक्खी होने से इसका अपना महत्व है। पुरानी बातें एवं वैर का विसर्जन कर उनको भूल जाएं, नया चिंतन करें, संबंधों में मधुरता लाएं। जैन धर्म में चौमासी प्रतिक्रमण का अपना महत्व है, प्रतिक्रमण द्वारा आत्मशुद्धि करें। पापों की शुद्धि कर मन को हल्का बना लेना चाहिए। चार महीने के राग द्वेष, वैमनस्य को समाप्त कर नये ढंग से नया जीवन जिएं। काम, क्रोध, राग, द्वेष की होली जलाकर मन एवं आत्मा को पवित्र बनाएं। मुनिश्री ने मंगल भावना के साथ रंगों का ध्यान करवाया।
मुनि कुमुदकुमार जी ने कहा- भारतीय संस्कृति में मनाए जाने वाले प्रत्येक त्यौहार के साथ कोई न कोई घटना प्रसंग अवश्य जुड़ा हुआ है। वह प्रसंग हमें प्रेरणा प्रदान करता है। त्यौहार को ब्राह्य रुप में नहीं अपितु प्रेरणा के रुप में मनाया जाए। रंग हमारे मन, चित्त, शरीर और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। जैन दर्शन में लेश्या का अपना स्थान है, लेश्या से हमारा आभामंडल प्रभावित होता है। पवित्र आभामंडल हमारी साधना की सार्थकता है। हमारी आत्मा शुक्लमय बन जाए।
महिला मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सभा अध्यक्ष सुनील आंचलिया, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष विजय भूरा, सभा से किशनलाल नाहटा, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी, कन्या मंडल, महिला मंडल किशोर एवं महिला मंडल ने गीत, कविता, वक्तव्य एवं नाटक के माध्यम से प्रस्तुति दी। आभार तेयुप मंत्री राजकुमार बोथरा ने किया। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री कन्हैयालाल चौपड़ा ने किया।