तेरी मिट्टी में मिल जावां

तेरी मिट्टी में मिल जावां

तेजस्वी संन्यास तुम्हारा, है तेजोमय हर कण-कण,
करता है तेजस्विता का, संघ समूचा वर्धापन,
दीक्षा कल्याणक उत्सव लाया गण में आज दिवाली है,
करती इस तपते तारूण्य का स्वागत किरणें उजाली है,
जय-जय है ज्योतिचरण, जय-जय गरु महाश्रमण,
झुकता है तव चरणो में जहां।
आता जो तेरी शरण, मिट जाता है भवभ्रमण,
झुकता है तव चरणों में जहां।।
मां नेमा के लाल लाडले, झूमर कुल उजियारे हो,
धन्य धरा सरदारशहर, दुगड़ कुल के ध्रवतारे हो,
जिनशासन की शान तुम्हीं हो तेरापंथ शासन के प्राण,
गति प्रतिष्ठा त्राण शरण हो, तुम भक्तों के हो भगवान्,
जाता जग बलिहारी, गुरुवर मंगलकारी,
झुकता है तव चरणों में जहां।।
है व्यक्तित्व विराट वाणी का विषय नहीं जो बन पाए,
श्रम के महादेव श्रमण से महाश्रमण तुम कहलाए,
कालजयी कर्तृत्व दे रहा गण को अभिनव ऊंचाई,
है सौभाग्य हमारा मिली शासना सुखमय वरदायी,
उज्जवल आभामंडल, मुस्काता मुखमंडल,
झुकता है तव चरणों में जहां।।
दो-दो सक्षम गुरुओं की संयुक्त कृति गुरु महाश्रमण,
तुलसी के प्रतिरूप तुम्हें पा धन्य हुआ ये भैक्षवगण,
महाप्रज्ञ पट्टधर की सुयश ऋचाएं फैली दूर-दूर,
है आभारी उनके जिन ने दिया ये हीरा कोहीनूर,
झेलो शुभ भावनाएं, दीक्षा की सदी मनाएं,
झुकता है तव चरणों में जहां।।