धरती के श्रृंगार तुम्हारा अभिनंदन

धरती के श्रृंगार तुम्हारा अभिनंदन

ओ धरती के श्रृंगार तुम्हारा अभिनंदन,
करुणा के अवतार तुम्हारा अभिनंदन।
कलयुग में सतयुग सी रचना रचाने वाले,
ओ तेरापंथ के मंदार तुम्हारा अभिनंदन।।
विनय निष्ठा की निशानी का नाम है महाश्रमण,
गुरु निष्ठा की सहनाणी का नाम है महाश्रमण।
महानता के शिखर पर विलसित ओ प्रभापुंज !
समर्पण की कहानी का नाम है महाश्रमण।।
अभिशाप को वरदान बनाना तुम्हारे हाथ में है,
महादशा को महाभाग में बदलना तुम्हारे हाथ में है।
मैं हूं नादान और आप हो अक्षय गुणों के धाम,
मेरी सोई हुई किस्मत को जगाना तुम्हारे हाथ में है।।
तुम जीओ हजारों साल यह हमारी मन्नत है,
तुम रहो सदा निरामय यह हमारी चाहत है।
मंगल प्रभात की मंगल घड़ियां हो तुम्हें मुबारक,
युगों-युगों तक महकती रहे तुम्हारी शोहरत है।।
तुम जादूगर नहीं हो फिर भी तुम्हारे प्रवचन में जादू है,
तुम मैनेजर नहीं हो फिर भी तुम्हारे प्रबंधन में जादू है।
स्वच्छंदता के तुरंग की लगाम को कसने वाले ओ महाश्रमण !
तुम मिनिस्टर नहीं हो फिर भी तुम्हारे प्रशासन में जादू है।।