जय जय ज्योति चरण का नारा

जय जय ज्योति चरण का नारा

प्रभु तुम्हारे पादाम्बुज में अर्पित है यह जीवन सारा।
विश्व पटल पर गूंज रहा है जय जय ज्योति चरण का नारा।।
नेमा-झूमर का मन उपवन पुलक उठा तुम सा सुत पाकर,
सद् संस्कार भरे जननी ने मधुर-मधुर है लोरी गाकर।
माँ की सीख सुहानी पाकर मोहन तोडे कर्मों की कारा।।
तुलसी महाप्रज्ञ की मोहक कृति लगती सबको मनहारी,
मृदु मुस्कान शोभती मुख पर सूरत लगती प्यारी-प्यारी।
महातपस्वी महाश्रमण है भक्तों की आंखों का तारा।।
आभामण्डल पावनतम सरस सुहानी प्रवचन शैली,
युगप्रधान आचार्य प्रवर की यश गाथा है चिहुंदिशी फैली।
बरसाते भक्तों पर विभुवर निश-दिन अमृतरस की धारा।।
अजब-गजब व्यक्तित्व तुम्हारा किस उपमा से उसे सजाऊं?
शान्ति प्रदायक शरण तुम्हारी नवानिश प्रभु हर पल चाहूं।
तेरापथ अखिलेश्वर तेरा रूप लगे सबसे मनहारा।।
जन्म दिवस है आज तुम्हारा क्या चरणों में भेंट चढ़ाऊं?
राम भक्त हनुमान हृदय ज्यों अन्तरघट में तुम्हे बिठाऊं।
मन की अभिलाषा फल जाए भव सागर से करूं किनारा।।