गुरूवर री महिमा गावां
खुशियां रो नहीं पार आज म्है उत्सव अमृत मनावां।
गुरूवर री महिमा गावां।।
सरदारशहर की पुण्यधरा पर जन्म लियो खुखकारी,
झूमरमल रा लाल लाड़ला नेमा कूख उजाली।
पुण्याई रो पार नहीं म्हैं सौ-सौ शीस झुकावां।।
प्रवचन शैली अजब-गजब री नयणा स्यूं अमृत बरसे,
आभामंडल है अति सुन्दर दर्शक रो मन हरसे।
तुलसी गुरु और महाप्रज्ञ री कृति ने खूब सरावां।।
यशोगीत थांरां गा गाकर सफल संघ हर्षित है,
श्रद्धा सुमन चढ़ावां भगवन तन-मन सब अर्पित है।
शासन सुषमा बढ़े निरंतर अंतर भाव सुणावां।।
साध्वी समाज करे अभिनंदन बनो चिरायु गुसवर,
राज अचक्का आप कराओ जब तक धरती अम्बर।
तेरापंथ मिल्यो भागां स्यूं हुलस-हुलस गुण गावां।।
लय - जहां डाल-डाल पर सोने की