दशों दिशाओं में प्रसरी महिमा
आर्हत् वांग्मय से प्रवचन की करते हैं शुरूआत,
दशों दिशाओं में प्रसरी महिमा है विख्यात।
योग विभूति के सिद्ध वचन मंगल है प्रख्यात।।
अहो वण्णो अहो रूवं
अद्भूत रूप-स्वरूप् सौन्दर्य मनहारा।
आत्मिक चिंतन शुभ योगों से जग को तारा।
बहुश्रुत जीवन से जन-जन करते हैं मुलाकात।।
अहो खंती अहो मुक्ती
क्षमा-मुक्ति के वंदनीय आदर्श प्रभुवर,
महाऊर्जा का संवर्धन करते प्रकाश पुंज गुरुवर,
अलौकिक प्रभा से सम्पन्न प्रतियां है साक्षात् ।।
अप्पा में नंदणवणं
नंदनवन में आनंदशक्ति का छाया उजियाला,
तत्वज्ञान आगम से उद्घाटित करते भीतर का ताला,
अनुत्तर ज्ञान, दर्शन, चारित्र आपका है अवदात।।
अप्पा कामदुहा धेणु
श्रुत स्वाध्याय कराते अप्रमत्त भावयोग से,
पाप-कर्मों का शोधन होता शुभ लाभ अमृत योग से,
शांत-सुधा रस का पान कराते, चंदन की होती बरसात।।