तेरा हिमालय आकाश चूमें
संघ हिमालय तेरी शरण में, बन जाए हम सारे सिद्धा,
पट्टोत्सव दिन है मनभावन, अभिनंदन नेमानन्दा।
महाप्रज्ञ पट्टधर शासन शेखर, मनहर है मृदु अनुशासना,
जय जय ज्योतिचरण, जय महाश्रमण, नारा है भाग्य सितारा।
वन्दे गुरुवरम् वन्दे कीर्तिधरम् , नाम है प्रबल सहारा।।
रचे इतिहास कितने शुभंकर, गण ध्वज फहरे जहां तक अम्बर,
आई विपदाएं चाहे भयंकर, चरण बढ़ते रहे नित निरन्तर।
बन राम जो चले तुम, चौदह बरस यों विचरे,
रावण हुए पराजित, घर-घर में जो थे पसरे।
नभ भी झुके दृढ़ हौंसलों के आगे, बांधा जगत ले हाथ प्रेम धागे।
रहे निरामय, पावन देहालय, यशगाथा सदियों तक गूंजे।।
तेरापंथ के महा अधिनायक, तेरे कदमों तले मेरी जन्नत,
तुम्हें सुमरे जो विपदा घड़ी में, पूरी हो जाए मन की मन्नत।
जहां-जहां चरण टिकाए, रोशन वहां हो गई दुनिया,
तेरी दृष्टि की किरण से, खिलती है दिल की कलियां।
भगवान तू ही मेरा सच्चा आसरा है मेरा, मन कलश गुरु भक्ति से।
तू ही है अल्लाह, ईसा, परमेश्वर क्यों किसी और की जरूरत है।।