हम कैसे कथा सुनायें
दीक्षोत्सव की अर्द्धशती पर प्रभु को आज बधायें।
श्री चरणों में मंगलमय श्रद्धा उपहार सजायें।।
श्रम की अकथ कहानी तेरी सुन रोमांचित होते,
कल्याणी वाणी से जन-मन पुलकित-हर्षित होते,
तेरे पर उपकारों की हम कैसे कथा सुनायें।।
अप्रमत्त जीवन शैली के हर पल का अभिनंदन करते,
महातपस्वी के तप का हम शत सहस्र वंदन करते,
समय प्रबंधन श्रेष्ठ प्रशासन सबके मन को भाये।।
आगम-खोजी आगम वाणी के अध्येता संधाता हो,
भैक्षव शासन नंदनवन के तुम ही भाग्य विधाता हो,
मस्त फकीरी, शुद्ध साधुता की क्या बात बतायें।।