प्रभुवर को हम आज बधाएं
हे महासूर्य हे महाज्योति तुम महातपस्वी कहलाए।
सरदारशहर की पुण्य धरा पर, युगप्रधान अभिषेक मनाए।।
पांव-पांव चलकर के तुमने, दिया विश्व को नव संदेश,
श्रम की ज्योति जले निरंतर, गण में छाया नव उन्मेष।
जन-जन के तुम भाग्य विधाता, मंगल स्वस्तिक आज रचाएं।।
महाप्रज्ञ के हो तुम पट्टधर, चमक रहे हो ज्यों ध्रुव तारा,
कुशल शासना अनुपम तेरी, मिला संघ को दिव्य सितारा।
भावों की सौगात लेकर, प्रभुवर को हम आज बधाएं।।
देश-विदेशों की यात्रा कर, जन-जन को आलोक दिखाया,
प्रवचन शैली है अलबेली, नशा मुक्ति का पाठ पढ़ाया।
दीक्षा का यह उत्सव आया, स्वर्णजयन्ती आज मनाएं।।
मां नेमा के घर आंगन में, एक अनोखा फूल खिला,
मंत्री मुनि की मिली प्रेरणा, अन्तस्थल का दीप जला।
युगों-युगों तक करो शासना, अन्तर मन की कामनाएं।।