त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला संपन्न

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त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला संपन्न

आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में प्रेक्षा प्रशिक्षक राजेन्द्र मोदी के निर्देशन में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन जैसोर रोड स्थित अवनी कांम्प्लेक्स प्रांगण, पूर्वांचल में हुआ, जिसमें सैकड़ों लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा जिस प्रकार शरीर में मस्तक का, वृक्ष में जड़ का मूल्य होता है उसी प्रकार आत्म साधना में ध्यान का मूल्य है। ध्यान वर्तमान में जीने की कला सिखाता है। ध्यान सुप्त शक्तियों को जागृत करने का अमोघ साधन है। ध्यान गंगाजल के समान है। ध्यान भारतीय संस्कृति की आत्मा है। ध्यान से आचार विचार, संस्कार, व्यवहार में बदलाव आता है।
मुनिश्री ने आगे कहा समस्या का मूल है अपने आपसे अपरिचित रहना। मनुष्य दूसरों को जानता है, पहचानता है, दूसरों से परिचित होता है किन्तु अपने आपको नहीं जानता है। जिसके कारण नाना प्रकार की बीमारियों का जन्म हो रहा है। उन समस्याओं व बीमारियों से छुटकारा पाने का अमोघ उपाय है- प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान स्व को जानने की प्रक्रिया है। गुरुदेव तुलसी की सन्निधि में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने प्रेक्षाध्यान का शुभारंभ किया। मुनिश्री ने स्वास्थ्य की अनुप्रेक्षा कराई। प्रेक्षा प्रशिक्षक राजेन्द्र मोदी ने प्रशिक्षण देते हुए प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराए। आभार तेरापंथ सभा के मंत्री बालचंद दुगड़ व अवनी कॉम्प्लेक्स के अध्यक्ष अशोक कुमार अग्रवाल व राजकमल बांगड़ व अवनी के कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा।