मेरे अन्तरमन भगवान

मेरे अन्तरमन भगवान

झूमर नन्दन करते वन्दन, अर्पित तन-मन प्राण,
मेरे अन्तरमन भगवान।
मुस्कानों का बहता झरणा, आंखों से बहती है करूणा,
वत्सलता के महासमन्दर, महाप्रज्ञ के तुम हो पटृधर।
विनय, नम्रता और समर्पण, क्या गाएं यशगान।।
तुलसी सा व्यक्तित्व तुम्हारा, देव कुंवर सा रूप तुम्हारा,
गण गणपति से है इकतारी, महाप्रज्ञ तुलसी के पुजारी।
स्वर्गपुरी से दोनों गुरु का, मिलता है वरदान।।
रवि से तेजस्वी हो प्रभुवर, अंगद सी दृढ़ता है विभुवर,
चंदा सी शीतलता तुममें, वीर प्रभु सम प्रभुता तुममें।
एक तेरी दृष्टि में चलता, देखो सकल जहान।।
पग-पग चलने वाले भास्कर, जीओ वर्ष हजार आर्यवर,
समय प्रबन्धन देखा तुममें, स्ट्रेस हावी नहीं होता तुममें।
सात समन्दर कीर्ति पहुंची, जन-जन करे बखान।।
लय - कितना बदल गया इंसान