महाश्रमण गुरुवर गण के श्रृंगार हैं

महाश्रमण गुरुवर गण के श्रृंगार हैं

जिनशासन की करते जो जय-जयकार हैं,
तेरापंथ भिक्षु गण को जिनकी दरकार है।
ये महाश्रमण गुरुवर गण के श्रृंगार हैं।।
गुरु महाश्रमण -3
एकादशवें शास्ता में बसते हैं अष्टमंगल,
जंगल में मंगल करते आकर्षक अद्भूत कौशल।
अक्षय निधियों से भरते गण भंडार हैं।।
इस चातुरंत चक्री की सेवा में रतन अनेकों,
झूमर नेमानंदन की मुस्कान मनोहर देखो।
एक जीकारा देता नव उजियार है।।
महावीर हैं इस युग के दिखलाते नए नजारे,
श्री कृष्ण बुद्ध गांधी जिनमें हम सदा निहारे।
विजय पताका फहराते सुखकार हैं।।
जो महाऋषि महासाधक जिनसे गुलशन खिलता है,
पंडित है महिमा मंडित अज्ञान तिमिर हरता है,
युगप्रधान लाखों के तारणहार हैं।।
लय - सिरियारी में चलती जिनकी सरकार है