मैं और मेरा छोटे भाई मोहन
मेरे जन्म के दो साल बाद मेरे छोटे भाई का जन्म हुआ जिसका नाम मोहन रखा गया। मेरा छोटा भाई होने के कारण वह मुझे अतिप्रिय था। मोहन जब चलने योग्य हुआ तो मैं उसे चलना सीखाता था, जब स्कूल जाने योग्य हुआ तो मेरे साथ स्कूल जाना शुरु किया। बड़े गौरव और संतुष्टि की अनुभूति होती है जब देखता हूं कि मेरा वो ही अनुज जिसने मेरे सामने चलना सीखा, जिसको गिनती करना मैंने सिखाया, आज महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण के रूप में लाखों लोगों का जीवन संवार रहे हैं, करोड़ों लोगों को नशा मुक्त करवा चुके हैं। आप ऐसे ही निरामय-निरोग रहते हुए दीर्घकाल तक विश्व को नैतिकता युक्त एवं नशा मुक्त बनाते रहें। यही शुभ मंगल कामना।