शासन काल हर दृष्टि से स्वर्णकाल बने
चारित्र निष्ठ, सत्य निष्ठ, आचार निष्ठ, सिद्धान्त निष्ठ, अध्यात्म निष्ठ एवं तुलसी-महाप्रज्ञ की महनीय कृति महातपस्वी महासाधक युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के जन्मोत्सव, पट्टोत्सव एवं 50वें दीक्षा कल्याणक महोत्सव के पावन अवसर पर अभिवंदन, अभिनंदन, नमन। आपने अपने 14 वर्षों के आचार्यकाल में जिस प्रशासनिक कौशल, अपूर्व क्षमता, कार्य दक्षता का सदुपयोग किया है उससे सभी अभिभूत है। अहिंसा, करूणा, दया, प्रेम व मैत्री की सेना निरन्तर आपके साथ रहती है। आपके पास बुद्धि, वैभव व प्रज्ञा का अटूट खजाना है। आपके श्री चरणों में दिव्य शक्तियां हैं। आपश्री का आचार्य काल तेरापंथ धर्म संघ, जैन शासन की प्रभावना में श्री वृद्धि वाला हो। आपका शासन काल हर दृष्टि से स्वर्णकाल बने। यही अभीप्सा है।
- रतन दूगड़