केंद्रीय संस्थाओं की ओर से भावपूर्ण अभिवंदना स्वर
पंच परमेष्ठियों में परिगणित, आचार्य पद पर प्रतिष्ठित, ज्ञान-दर्शन-चारित्र-तप-वीर्य - इन पांच आचारों के सम्यक् निष्कलंक आचरण व शिक्षण में अग्रगण्य, सूर्य व प्रतिपूर्णचन्द्र आदि विविध उपमाओं से उपमित ‘बहुश्रुत’ व गीतार्थ की समस्त विशेषताओं को स्वयं में संजोए हुए, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के उज्ज्वल-निरवद्य 50वें श्रामण्य-पर्याय में प्रविविक्षु होने पर कोटिशः वन्दन-अभिनन्दन!