केंद्रीय संस्थाओं की ओर से भावपूर्ण अभिवंदना स्वर
युग की आस्था के अमर धाम, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण भारतीय सन्त परम्परा के यशस्वी संत हैं जो तेरापंथ के एकादशमाधिशास्ता के पद को सुशोभित कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनोन्नयन के विकास में आपने जो महत्वपूर्ण योगदान दिया है वह न केवल उल्लेखनीय है अपितु अनुमोदनीय भी है। मैत्री, नैतिकता, सद्भावना और नशामुक्ति का डंका बजाने वाली प्रलम्ब अहिंसा यात्रा सूर्य की तरह अविराम, श्रम की शानदार एवं अविस्मरणीयता का प्रतीक है। आचार्य महाश्रमणजी का संकल्प सच की धरती पर साकार होकर अवतरित होता है। बढ़े चले हम रूके न क्षण भी... इस स्वर लहरी में आत्मा का संगीत मुखरित होता है। युगों-युगों तक आचार्य महाश्रमण के अमल आभामण्डल की ज्योति रश्मियाँ मानव मन में व्याप्त तमस को दूर करती हुई नव प्रभात के उज्जवल हस्ताक्षर करती रहेगी। इसी आशा, विश्वास के साथ...