वर्धापन मंगल वेला आई
वर्धापन मंगल वेला आई,
साध्वी प्रमुखा जी को देते बधाई।
रहो निरामय करो शासना,
मंगलभावों की भेंट मैं लाई।।
धन्य धन्य चंदेरी प्रांगण,
धन्य तेरा उदितोदित शासन।
महक उठी है गण फुलवारी,
प्रखर विश्रुतविभा अनुशासन।।
तुलसी चरण संयम पावन,
महाप्रज्ञ से श्रुत अवगाहन।
महाश्रमण की कृपा सवाई,
साध्वी प्रमुखा नवमी पाई।।
सहज सरलता है अलबेली,
सुंदर लेख प्रवचन शैली।
गण नंदनवन परिकर में तव,
गुण सुमनों की सुरभि फैली।
स्वाध्याय, ध्यान, सेवा अनुरक्ति,
जिनशासन में गहरी भक्ति।
साधना के नव उपक्रम चलाएं,
संघ विकास लगे तव शक्ति।।
दो आशीर्वार बढ़ते जाएं,
शिखरों को हम छूते जाए।
साधना के पंख लगाकर,
आसमां में उड़ते जाएं।।