तीर्थंकर सम तीर्थपति

तीर्थंकर सम तीर्थपति

तीर्थंकर सम तीर्थपति, महाश्रमण भगवान।
तोरण द्वार बंधाएं, विरूदावलियां गाएं।।
आसमां से बरसे अमी, अवनि लहर लहराए,
पवन ढोलावे चवर, ऋचाएं गुनगुनाएं।
सिन्दुरी ले उतरा सूरज, करने वर्धापन आज,
स्वर्णिम जयंति मनाएं।।
करुणा के झरने झरते, निरखें नजारें,
प्रभो! दुखियारे तेरे, चरण पखारें।
मुस्कानों के झरनों से, मिट जाते सब संताप।।
जन-जन भाग्य सराएं।।
अल्पभाषिता तेरी, सागर से गहरी,
तेरे अनमोल वचन, संघ के प्रहरी।
हर आखों में तेरा आसन, धरते तेरा ही ध्यान,
ये दृष्टि सृष्टि बन जाए।।
नेमा नंदन लो मेरा, शत-शत वंदन,
भावों से भरा मन, यहीं अगर चन्दन।
हम हैं तेरे दास प्रभो! करें यही अरदास।
युगों-युगों राज कराएं।।