वन्दन चरणों में
सौ सौ वन्दन, है अभिनन्दन, जैन जगत के अभिनव स्पंदन।
नेमा मां के प्यारे नंदन।।
गण में आई आज दिवाली, छाई कण-कण में खुशहाली।
पुलकित है हर पल्लव डाली।।
जन्म जयंती आज मनाती, आस्था के हम दीप जलाती।
भव्य भाल पर तिलक लगाती।।
दशों दिशाएं मंगल गाती, धरती स्वस्तिक दिव्य रचाती।
स्वागत में उपहार सझाती।।
तुलसी प्रभु ने लिया परीक्षण, उसमें मिली सफलता क्षण-क्षण।
जीया जागरूक बन जीवन।।
महाप्रज्ञ का सिर पर साया, बनकर रहा तूं तन की छाया।
सूरज बनकर तूं चमकाया।।
श्रम की बूंदों का अभिसिंचन, भैक्षव गण को मिल रहा क्षण-क्षण।
तब हो रंग खिला मन भावन।।
महाश्रमण की सदा विजय हो, ईड़ा पीड़ा का नहीं भय हो।
संघ चतुष्टय बल अक्षय हो।।