महाश्रमण गुरु की जय हो
महाश्रमण गुरु की जय हो।
आयरियाणं के चरणों में हर पल मंगलमय हो।।
दीक्षा स्वर्ण जयंती गुरुवर तुमको आज बधाएं,
तेरी सन्निधि शीतल जलधर हर संताप मिताएं।
गुरु का साया सुख की शय्या हम सौभाग्य सराए,
भिक्षु के ज्यातिर्मय पट्टधर तेरी सदा विजय हो।।
प्रभु के नैन स्नेह का सागर वत्सल रस बरसाए,
मुख मुद्रा आनंद का सावन गम को दूर भगाए।
दोनों हाथों से विभु सबको शुभ आशीष दिराए,
दिव्य पुरुष की निर्मल आभा से हम ऊर्जामय हो।।
उन्नत संयम समता धृति को शत-शत शीष झुकाएं,
महाव्रतों की धवल पदरिया का हम गौरव गाएं।
गुरु तुलसी अरू महाप्रज्ञ की कृति जग में जश पाए,
श्री ह्री धी के अक्षय आकर, दीर्घायु सुखमय हो।।