महाश्रमण लो वंदना
महाश्रमण, महाश्रमण लो वंदना, अभिवंदना,
भक्ति भाव, से करें अर्चना, ओ नेमा दुलारा,
तेरा ही सहारा, तेरा सहारा, तू ही तारण हारा,
महाश्रमण, महाश्रमण लो वंदना, अभिवंदना ।।
आज धरा पर, ऊषा उतरकर आई है,
सतरंगी नई बहारें लाई है।
डाल-डाल पंछी ने, धूम मचाई है,
जय-जय ज्योतिचरण की महिमा छाई है।।
गुरुवर आप धरती पर, मधुमास लिए,
नयन युगल में करूणा का, स्त्रोत लिए।
लाखों-लाखों को व्यसन मुक्त किए,
नैतिकता, सद्भावना का स्वर दिए।।
अहिंसा रथ के कुशल सारथी को नमन करें,
घोर तपस्वी के सब मिल गुणगान करें।
उग्र विहारी का हम सम्मान करें,
सूक्ष्म मनीषा से गण भंडार भरें।।
हिमालय सा दृढ़ संकल्प तुम्हारा है,
श्रम से चमका, भिक्षु गण उजियारा है।
तेरी अनुशासन शैली का दिव्य नजारा है,
संतोष तब चरणों में अर्पण जीवन सारा है।।