व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन

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व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन

मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में ‘संभाले रिश्तों की डोर’ व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन लिलुआ में तेरापंथ युवक परिषद् लिलुआ (बाली-बेलूर क्षेत्र) द्वारा किया गया। मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा - इंसान के जन्म के साथ ही रिश्तों का शुभारंभ हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ रिश्तों की डोर द्रौपदी के चीर की तरह लंबी होती चली जाती है। रिश्ते नाजुक धागे की तरह होते हैं जिन्हें बड़ी सावधानी से संभालना होता है। रिश्तों को संभालने के लिए कहना, रहना और सहना सीखें। जहाँ अनेक व्यक्ति साथ रहते हैं वहाँ सहिष्णुता वातावरण को स्वर्ग सा सुन्दर बना देती है। मुनि परमानंदजी ने अपने वक्तव्य में कहा- जहाँ सेवा और सहयोग की भावना होती है वहाँ रिश्ते संभल जाते हैं। संभले हुए रिश्ते इंसान के जीवन को सुख-शांतिमय बनाते हैं। मुनि कुणालकुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया।
मुख्य वक्ता गौतम दुगड़ ने कहा - जहाँ वाणी का संयम नहीं होता वहाँ रिश्ते संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है। रिश्तों को दूरियां बढ़ाने में मोबाईल का भी योगदान हो सकता है। इसलिए इसके अति प्रयोग से बचना चाहिए। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप दुधेड़िया ने दिया। तेरापंथ किशोर मंडल ने गीत का संगान किया। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अनिल जैन ने अपने विचार व्यक्त किये।