दीक्षा केवल वेश परिवर्तन नहीं हृदय परिवर्तन है

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दीक्षा केवल वेश परिवर्तन नहीं हृदय परिवर्तन है

'शासनश्री' साध्वी विमलप्रज्ञाजी एवं साध्वी हिमश्रीजी आदि के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में आचार्य तुलसी का 28 वां महाप्रयाण दिवस एवं मुमुक्षु विकास बाफना का मंगल भावना समारोह का कार्यक्रम नमस्कार महामंत्र से प्रारंभ हुआ। साध्वी विमलप्रज्ञा जी ने कहा- गुरुदेव तुलसी का व्यक्तित्व विराट व तेजस्वी था। वे एक विलक्षण संत थे। आचार्यश्री तुलसी आत्मानुशासन के साथ परानुशासन करते थे। मुमुक्षु विकास के प्रति मंगलकामना करते हुए साध्वीश्री ने कहा- दीक्षा का मार्ग त्याग का मार्ग है, जिन भावों के साथ प्रस्थान कर रहे हो वह भाव प्रवर्धमान रहे। साध्वी हिमश्रीजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि गुरुदेव श्री तुलसी एक ऐसे अलौकिक दीप थे जिन्होंने अपनी सतत साधना और तपस्या से असंख्य दीपों को ज्योतित किया।
ऐसे मसीहा मानव जाति के दीपस्तंभ होते हैं, जिनसे संपूर्ण मानव जाति प्रकाश प्राप्त करती है। आज मुमुक्षु विकास संयम के रथ पर चरणन्यास करने जा रहा है। जिसके भीतर साहस होता है वही इस सोपान पर आरोहण कर सकता है। दीक्षा केवल वेश परिवर्तन नहीं हृदय परिवर्तन का नाम है। साध्वी मीमांसाप्रभा ने कहा कि गुरुदेव श्री तुलसी ने अपने जीवन में खुद का विकास किया तथा संघीय विकास कर सबको नए-नए आयाम दिए। मुमुक्षु विकास ने अपने वक्तव्य में कहा - मेरे 10 वर्षों की साधना का ही प्रतिफल है मुझे सूरत में पूज्यप्रवर की सन्निधि ही नहीं बल्कि गुरु चरणों में जाने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। कार्यक्रम में महासभा की ओर से अनिल चंडालिया, उपाध्यक्ष फूलचंद छत्रावत, तेरापंथ सभा उधना के अध्यक्ष निर्मल चपलोत, महिला मंडल की ओर से महिमा चोरड़िया, युवक परिषद से मनोज बाबेल आदि ने अपनी भावनाएं भाषण एवं गीत के माध्यम से व्यक्त की। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री मुकेश बाबेल ने किया।