मां के मन में बहता है करुणा का सागर

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मां के मन में बहता है करुणा का सागर

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में अभातेममं के निर्देशानुसार स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल के मार्गदर्शन में 'मां - बेटी कार्यशाला' का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा- भारतीय संस्कृति में मां का विशिष्ट स्थान है। मां की महत्ता दशों दिशाओं में गूंजी है। वह बच्चों का लालन-पालन करती है। मां के मन में करुणा का सागर बहता है। मां अनंत उपकारिणी होती है। जिसने मां को ठुकरा दिया उसे दुनिया भी ठुकरा देती है।
मुनिश्री ने आगे कहा- बेटियां समाज के भविष्य का आधार है, समाज की तस्वीर व तकदीर है। कन्याओं को संस्कारी बनाना घर परिवार को संस्कारी बनाना है। मां-बेटी एक दूसरे का ध्यान रखे, विचारों को सम्मान दें, बच्चों की भावनाओं की कद्र करें एवं स्वयं आदर्श जीवन जिएं। मां के उपकारों को याद रखें। माताएं भी बच्चों को अच्छे संस्कार दें, बार-बार डांटे नहीं, प्रेम से समझाएं। कोई भी प्रवृत्ति करें उसमें मर्यादा का ध्यान रखे। मुनि कुणालकुमार जी ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कन्यामंडल की बहनों के मंगल गीत‌ से हुआ। कन्या मंडल ने लघु नाटिका की प्रस्तुति दी। आभार कन्या मंडल प्रभारी बबीता कोठारी ने किया।