जिनशासन की दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

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जिनशासन की दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

अरिहन्त नगर के जैन स्थानक में जिनशासन की दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन हुआ। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध शिष्या साध्वी अणिमाश्रीजी आदि ठाणा एवं श्रमणसंघ की विदुषी साध्वी समताजी म.सा. आदि ठाणा का अद्भुत संगम देखकर श्रावक समाज भावविभोर हो गया। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने वक्तव्य में कहा जिस धरती का प्रबल पुण्योदय होता है वहां साधु-संतों के चरणों का स्पर्श पाकर धरती सोना बनकर दमकने लगती है। आज अरिहंत नगर में जिनशासन की दो माणियों का संगम हुआ है जैसे मणि अपने आपमें दुर्लभ होती है, वैसे ही संतों की संगति भी दुर्लभता से प्राप्त होती है। साध्वी उदिताश्रीजी म.सा. ने कहा आज अपनों से अपने मिले हैं। हमने साध्वी अणिमाश्री जी म.सा. का नाम तो बहुत सुना था। प्रधानमंत्री के साथ जो कार्यक्रम हुआ था, उसमें आपका प्रवचन सुना था, तबसे मैं आपसे प्रभावित थी एवं मिलने की इच्छा थी। नियति ने आज मेरी इच्छा पूरी कर दी। हम साथ में मिल बैठकर ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे। श्रावक समाज भी साधु-साध्वियों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपनी आत्मा की उज्ज्वलता को बढ़ाए एवं जीवन को आलोक मय बनाए। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा जब तक शरीर रूपी पात्र से कषाय का कचरा साफ नहीं होगा, तब तक अध्यात्म रूपी खीर का स्वाद नही आएगा। डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा- जीवन में चिन्ता का नहीं चिन्तन का चिराग जलाओ, व्यथा नहीं व्यवस्था का बाग लगाओ। साध्वी समत्वयशा जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। साध्वी मुदिताश्री जी व साध्वी नमिताश्री जी म.सा. सुन्दर गीत की प्रस्तुति दी। महासभा के कार्यकारिणी सदस्य कमल बैंगाणी, महिला मंडल अध्यक्ष रीता चोराड़िया एवं स्थानवासी समाज से विरेन्द्र जैन ने अपने विचार रखे।