आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन

साध्वी सयंमलता जी ने प्रज्ञा दिवस पर श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ का अवतरण विद्या, विनय और विवेक की समन्विति का अवतरण था, श्रद्धा व संस्कृति का अवतरण था, अनुग्रह व आस्था की अभिव्यक्ति का अवतरण था, प्रज्ञा व पुरूषार्थ की प्रगति का अवतरण था। आचार्यश्री महाप्रज्ञ ऋतम्भरा प्रज्ञा के धनी, आशु कवि, अन्वेषक, युगीन समस्याओं के समाधायक पुरूष थे। 21वीं सदी को प्रभास्वर बनाने वाले आचार्यश्री महाप्रज्ञ व्यक्ति नहीं विचार थे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेयुप द्वारा मंगलाचरण एवं सास बहू के जोड़े द्वारा महाप्रज्ञ गुरु वन्दना प्रस्तुति से हुआ। साध्वी रौनकप्रभाजी ने कहा आचार्य महाप्रज्ञ जी पॉलीमैथ व्यक्ति थे। व्यक्तिगत, व्यावसायिक, पारिवारिक, सामाजिक या राष्ट्रीय सबकी समस्याओं का समाधान आचार्य महाप्रज्ञ जी के साहित्य में मिलता है। साध्वी मनीषप्रभा जी ने कहा – आचार्य महाप्रज्ञ जी विश्वसंत थे। विनम्रता के बेजोड़ उदाहरण थे। साध्वी मार्दवश्रीजी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए आचार्य महाप्रज्ञ जी के जीवन प्रसंगों को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। तेरापंथ सभा भवन मैसूरु में सदियों की अमूल्य धरोहर महाप्रज्ञ वांग्मय की प्रदर्शनी लगाई गई एवं पीपीटी के माध्यम से उसकी महत्ता बताई गई। अनेक भाई बहनों ने आचार्य श्री के साहित्य का वर्ष में स्वाध्याय करने का संकल्प किया।