सफल नेतृत्व हेतु आवश्यक है चिन्तन, निर्णय एवं क्रियान्विति
साध्वी उदितयशाजी की विशेष प्रेरणा से राजाराजेश्वरी नगर के तेरापंथ भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद एवं तेरापंथ महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में 'कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला' का आयोजन किया गया। तेरापंथ धर्मसंघ की तीनों मुख्य संस्थाओं के पूर्व व वर्तमान सभी पदाधिकारीगण, कार्यकर्तागण एवं अन्य सदस्यगणों से सुसज्जित कार्यशाला में साध्वीवृन्द ने कार्यकर्ताओं को एक नये परिप्रेक्ष्य से अवगत कराया। साध्वी उदितयशाजी ने कहा संगठन का आधार अध्यात्म होना चाहिए। सही नेतृत्व नए कार्यकर्ता तैयार करें।
सफल नेतृत्व हेतु तीन बातें आवश्यक है– चिन्तन, निर्णय एवं क्रियान्विति। श्रेष्ठ नेतृत्व वह होता है जो पूर्व अध्यक्ष द्वारा किये गए कार्यों का निरन्तर विकास करे साथ ही गुरु इंगित के साथ नये कार्यों को करते हुए संघ की प्रभावना में वृद्धि करे। साध्वी संगीतप्रभाजी ने दायित्व बोध में समुच्चारित एक-एक संकल्पों का विश्लेषण करते हुए कहा कि आज आप पद पर हैं, कल कोई और आएगा लेकिन धर्मसंघ के कार्यकर्ता आप आजीवन रहेंगे। कोई भी संस्था बिना नियम, संविधान, अनुशासन, मर्यादा के नहीं हो सकती। संस्था के पद पर आने वाले व्यक्ति का गरिमामयी होना आवश्यक है। हमें संघ का आभारी होना चाहिए क्योंकि संघ ने हमें पहचान दी है। हमारे संघ को केवल कार्यकर्ता नहीं श्रावक कार्यकर्ता चाहिए। साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने एक सुमधुर गीतिका का संगान किया।