धर्मसंघ की सुरक्षा और श्रीवृद्धि के लिए रहें सदा तत्पर

संस्थाएं

धर्मसंघ की सुरक्षा और श्रीवृद्धि के लिए रहें सदा तत्पर

डोंबिवली। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी स्वामी के सान्निध्य में ‘हमारा धर्मसंघ और हमारा दायित्व’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने कहा कि संसार में अनेक संत हैं, पंथ हैं, ग्रंथ हैं, सबका अपना-अपना महत्व है, परन्तु हमारा धर्मसंघ शुद्ध आध्यात्मिक और अनुशासित धर्मसंघ है। आचार्य भिक्षु द्वारा संस्थापित यह संघ एक गुरु और एक विधान से विख्यात है। हमारा परम कर्त्तव्य है कि हम इस धर्मसंघ की सुरक्षा और श्रीवृद्धि के लिए सदा तत्पर रहें। संघ के एक-एक सदस्य को संभालते रहें। आज के लोग भौतिक प्रलोभनों के कारण इधर-उधर भटक रहे हैं। उनका आकर्षण ही ऐसा है कि उसमें फंसना आसान है, परन्तु उससे निकलना
कठिन हो जाता है। हमें पूरी जागरुकता रखकर एक-एक सदस्य को संघीय संस्कार देने हैं। वर्ष में एक बार सपरिवार गुरु दर्शन एवं उपासना का लाभ भी लेना चाहिये, जिससे गुरुदेव की सेवा, उपासना, प्रवचन के साथ अनेक साधु-साध्वियों से सम्पर्क हो सके। कुछ तत्त्वज्ञान सीखा जाये जिससे हम अपने सिद्धांतों को समझ सकें और अपने जीवन व्यवहार में उनका उपयोग कर सकें। क्षेत्र में विराजित चारित्रात्माओं के दर्शन, सेवा, गोचरी का बराबर ध्यान रखना चाहिये ताकि बच्चों को भी सामायिक, पात्र दान आदि संस्कारों की जानकारी हो सके।